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random facts in hindi
आस्था या अंधविश्वास?
जब प्रात: हिन्दू सेना को मंदिर का ध्वज नहीं दिखाई दिया तो अपनी हार मान कर भाग खड़ी हुई | नतीज़न राजा दाहिर का सर कलम कर दिया गया और फिर इसी दाहिर राजा के ब्राह्मण मंत्री ज्ञानबुध ने धन के लालच में कासिम को गुप्त खजाने का रास्ता बताया जो 40 बड़े देगों में उस समय 72 करोड़ के सोना-चांदी तथा हीरे जवाहरात का खज़ाना मिला, लेकिन इस मंत्री और पुजारियों को कासिम ने बाद में मौत की सजा दी | लेकिन जो भी हो , इस लड़ाई की हार का कारण एक मात्र अंधविश्वास था और यह लड़ाई भारत वर्ष की गुलामी की पहली चकबंदी साबित हुई |अंधविश्वास को मिल रहा शिक्षा से भी अधिक प्रचार
जिस गति से हमारे देश में शिक्षा का प्रचार हो रहा है , उससे अधिक गति से देश में अंधविश्वास फ़ैल रहा है | इसी का परिणाम है कि आज देश में डेरे तथा तथाकथित भगवान् फल-फुल रहे है , जिनको सफेदपोशो का पूरा सरंक्षण प्राप्त है , क्यों कि ये डेरे इनके वोट बैंक भी बन चुके है | नतीज़न , देश कि अन्धविश्वासी जनता इधर से उधर शान्ति , समृधि एवं गुरुनामी के चक्कर में सड़क दुर्घटनाओ में रोजाना मर रही है | पाखंड और गुरुडम फल-फुल रहा है और देश को गर्त कि तरफ धकेल रहा है | समाचार पत्र एवं टीवी वही परोस रहे हैं , जिस से उनके आमदनी बड़े और देश जाए भाड़ में |भ्रष्टाचार का है अंधविश्वास से सम्बंध
जहाँ तक भ्रष्टाचार की बात है , उसका मूल कारण अंधविश्वास ही है | क्योंकि जहाँ प्रति-दिन करोड़ो रूपये देवी-देवताओं को मंदिर में इस मांग कि शर्त पर चढ़ाए जा रहे है कि देवी देवता उनकी मनोकामना पूरी करेंगे | कहने का अर्थ है कि पहले देवताओं को रिश्वत का लालच दो और फिर उनसे अपना मनचाहा कार्य करवाओ | कोई भी कार्य अपने समय के अनुसार होता ही है , लेकिन पूरा श्रेय देवी देवताओं को जाता है और इसी का उदाहरण है कि तिरुपति मंदिर में एक दिन अर्थात प्रथम अप्रैल 2012 को 73 लाख रूपये का चढ़ावा था | जब हम भगवान और देवी देवताओ को इस प्रकार का लालच देकर रिश्वत देते है और वे सहर्ष स्वीकार करते है , तो फिर मनुष्य को रिश्वत देने-लेने में कोनसा दोष है ? और फिर यही लोग कहते है कि इंसान को तो भगवान् ने ही बनाया है | इसीलिए भ्रष्टाचार स्पष्ट तौर पर अंधविश्वास से जुड़ा है , इसलिए अन्ना हजारे और रामदेव से प्रार्थना करते हैं कि पहले ये इस देश से अंधविश्वास को भगाए , भ्रष्टाचार तो फिर अपने आप भाग जाएगा तथा साथ साथ उनसे यह भी प्रार्थना करते है कि जब जब जाट आरक्षण आन्दोलन कि बात आती है , तो यह अपने आन्दोलन को खड़ा करके जाट आन्दोलन को पीछे धकेलने का कार्य न करे ।अंधविश्वासों का वर्गीकरण
अंधविश्वासों का सर्वसम्मत वर्गीकरण संभव नहीं है। इनका नामकरण भी कठिन है। पृथ्वी शेषनाग पर स्थित है, वर्षा, गर्जन और बिजली इंद्र की क्रियाएँ हैं, भूकंप की अधिष्ठात्री एक देवी है, रोगों के कारण प्रेत और पिशाच हैं, इस प्रकार के अंधविश्वासों को प्राग्वैज्ञानिक या धार्मिक अंधविश्वास कहा जा सकता है। अंधविश्वासों का दूसरा बड़ा वर्ग है मंत्र-तंत्र। इस वर्ग के भी अनेक उपभेद हैं। मुख्य भेद हैं रोग निवारण, वशीकरण, उच्चाटन, मारण आदि। विविध उद्देश्यों के पूर्त्यर्थ मंत्र प्रयोग प्राचीन तथा मध्य काल में सर्वत्र प्रचलित था। मंत्र द्वारा रोग निवारण अनेक लोगों का व्यवसाय था। विरोधी और उदासीन व्यक्ति को अपने वश में करना या दूसरों के वश में करवाना मंत्र द्वारा संभव माना जाता था। उच्चाटन और मारण भी मंत्र के विषय थे। मंत्र का व्यवसाय करने वाले दो प्रकार के होते थे-मंत्र में विश्वास करने वाले और दूसरों को ठगने के लिए मंत्र प्रयोग करने वाले। मार्क्सवादी दृष्टिकोण में अंधविश्वास वह विचार पद्धति है जिसे आमतौर पर धर्मशास्त्रीय तथा बुर्जुआ साहित्य में सच्ची आस्था के मुकाबले रखा जाता है जो आदिम जादू से जुड़ा होता है। किसी भी धर्म के अनुयायी के दृष्टिकोण से अन्य धर्मों के सिद्धांत तथा अनुष्ठान अंधविश्वास की श्रेणी में आते हैं। मार्क्सवादी निरीश्वरवाद धार्मिक आस्था तथा किसी भी तरह के अंधविश्वास को पूर्णतः अस्वीकार करता है।
नज़र भट्टू ।
उत्तर भारत और पाकिस्तान में नींबू को शुभ माना जाता है और अनेको अनुशठान मे इसका प्रयोग किया जाता है। नींबू और मिर्च के गाठ-बन्धन नए घरों और दुकानो के द्वार पर लगाया जाता है। माना जाता है कि ऐसे करने से बुरे आत्माओं और अपशगुन दूर करवाता है। इस गाठ-बन्धन का नाम नज़र-बट्टू है और इस्मे ७ मिर्च और १ नींबू का प्रयोग होता है। नज़र बट्टू को दैनिक, साप्ताहिक या पाक्षिक बदला जाता है।
अनुशठान के उपहार में एक रुपय जोड़ना शुभ है?
भारत में कोई भी अनुशठान या शादी में एक रुपय देने का प्रचलन है। कुल में एक रुपय और देने को शुभ माना जाता है।
इसके कई कारण है। कुछ मानते है कि इस्से किसमत चमकती है, कुछ के लिये यह बड़ों का प्यार और आशीर्वाद, और कुछ के लिये यह जिंदगी के नए पडाव की शुरुआत के बराबर है। कुछ एसा भी मानते है कि एक रुपय बढ़ाने से कुल का भाग करना कठिन हो जाएगा। अगर ना बढ़ाया जाये तो कुल के दो बराबर भाग किये जा सकते है और इसे अशुभ माना जाता है। इसलिए, खासकर व्याह के घरों में ये काफी प्रचलित है।
नदी में सिक्के फेंकना
माना जाता है कि नदी में सिक्के फेंकने से सफ़लता मिलती है। आज भी यह भारत के काफ़ी जगहों पर प्रामाणित है।
इसका कारण यह है कि पुराने वक्त में सिक्के पीतल के होते थे। पीतल पानी को स्वच्छ कर देता है और किटानु मार डालता है। उस वक्त नदियों से ही पीने को पानी मिलता था। तो नदियों में सिक्के डालने से पानी स्वच्छ मिलता, और हमारे शरीर में भी थोड़ा पीतल जाता। इसलिए कहा जाता है कि नदी में सिक्के डालना शुभ है। किंतु आज के सिक्के स्टेनलेस स्टील से बने है। इनका नदी में कुछ असर नहीं होता है। ये अब सिर्फ़ एक अंधविश्वास बन रह गया है।
पानी का गिरना....
जब कही पानी गिरता है तो कुछ आछा होने वाला है ऐसा लोग का मानना है या कह सकते है की वह उनका अंधविश्वास है। कहा जाता है की कोई व्यक्ति के जाने के बाद अगर पानी गिरते है या गिराया जाता है तो उस व्यक्ति का यात्रा अछा जाता है और अगर वह व्यक्ति कोई काम के लिए बहार निकला है तो उसका काम किस्मत उसका साथ देगी। यह तब भी किया जाता है जब कोई बच्चा परीक्षा देने के लिए जाता है या फिर कोई व्यक्ति जब नौकरी ढूँढने जाता है। यह माना जाता है की पानी गिरना या पानी का बहना शुभ होता है और सब कुछ आराम से चलता है कोई बाधा नहीं होती।
शुभ यात्रा...
शुभ यात्रा दुनिया में कभी भी कोई बाहर जाता है तो उन्हें कहा जाता है शुभ यात्रा, इतना काफी नहीं भारत में कहते है की अगर यात्रा के समय अगर व्यक्ति किसी मुर्दे को लेजाते देख लेह तोह उसका सफर आछा जायेगा, या फिर हाथी को देख ले, या फिर एक गाये और बछड़ा साथ देख ले, यात्रा आरम्भ करने से पहले दही खा ले, या अपनी शकल पानी में देख लेह तो उनका यात्रा या काम सफल और आचा रहेगा।
नारियल तोड़ना।
कहते है की जब भी कुछ नया लिया जाता है उसका पूजा या भगवान का नाम ले कर ही शुरू किया जाता है। लोग जब भी नये घर या फिर नया गाडी लेते है तो उसके लिए पूजा करते है और उसके सामने नारियल तोडते है नारियल को बहुत जोड़ से नीचे फेकते है ताकि वह टुकडे टुकेडी हो जाये। लोगो का यह मानना है की ऐसा करने से वह उस चीज़ को आपने मानने लगते है।

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